waqt
दो पल वक़्त यु पड़े थे कप में चाये की तरहा
वो भी यु ही कब के पड़े पड़े सोच रहे थे
कब मुझे कोई इस्तेमाल करेगा ये सोच रहे थे
फिर वो पुरानी यादों मे खो गया पल भर के लिए
सोचा एक वो वक़्त जब मैं कम पड़ जाता था
आज मैं पड़ा हूँ किसी को मेरी ज़रुरत ही नहीं
वो भी यु ही कब के पड़े पड़े सोच रहे थे
कब मुझे कोई इस्तेमाल करेगा ये सोच रहे थे
फिर वो पुरानी यादों मे खो गया पल भर के लिए
सोचा एक वो वक़्त जब मैं कम पड़ जाता था
आज मैं पड़ा हूँ किसी को मेरी ज़रुरत ही नहीं
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