मुंसिफ़

लफ़्ज़ों के साथ इंसाफ़ करने की अदद कोशिश...

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It is too bad to be too good

Thursday 19 December 2013

waqt

दो पल वक़्त यु पड़े थे  कप में चाये की तरहा
वो भी यु ही कब के पड़े पड़े  सोच   रहे थे
कब मुझे कोई इस्तेमाल  करेगा ये सोच रहे थे
फिर वो पुरानी यादों मे खो गया पल भर के लिए
सोचा एक वो वक़्त जब मैं कम पड़ जाता था
आज मैं पड़ा हूँ किसी को मेरी ज़रुरत ही नहीं

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