एक खमॊश मासून की बेदना
एक खमॊश सी चीख एक मासून सी परी की बेदना
फिर क्यों बिना देखे बिना महसूस किये
खुद अपने ही के माँ बाप मिटाते हैं बेटियाँ
क्यों उनकी खमॊश चीखों को नहीं सुन पते हैं माँ और पापा
जो कहती है मुझे आने दो माँ पापा मुझे नहीं जाना
मैं आपको खुशियाँ दूंगी मुझे आने दो
मुझे मत रोको मुझे आने दो मुझे आने दो
मुझे नहीं जाना वापस उस अंधरे मैं
मुझे डर लगता है मेरी आवाज़ सुन लॊ
मुझे वापस नहीं जाना मैं तुम्हारा ही अंश हूँ
मैं तुम्हारी ही बुलाई गयी परी हूँ
मुझे अपना लो मुझे वापस नहीं जाना
मुझे वापस नहीं जाना नहीं जाना
मेरी आवाज़ क्यों नहीं सुनते
मुझे क्यों नहीं अपनाते मुझे क्यों नहीं बुलाना
मैं बेटी हूँ तो क्या मैं आपका अंश नहीं हूँ
भाई की तरहा मैं भी आपका अंश ही हूँ
मुझे कब तक यही दर्द देंगे मेरे अपने माँ और पापा
कब होगा जब लोग बेटियों को सुन पयेंगे
गर्व में भी मैं आपको महसूस करती हूँ सुनती हूँ
अपने होकर जब मेरे वजूद को मिटने की बात करते हो
कब तक माँ पापा आप यही करोगे
कितनी परियां बिना मिले अपनों से दूरजाती रहेंगी
एक बार कोशिश आप सब भी करो
आप अपने इस समाज से कहो
कब बदलेगा कब बदलेगा आखिर कब बदलेगा
कब हमें भी भाई के बराबर का अधिकार मिलेगा
आप देवी की पूजा तो नौ दिन तक करते हो
क्या आप सब मिलकर नौ बेटियों की भ्रूण हत्या रोक सकते हैं
कोशिश आप करोगे तभी हमें न्यायॆ मिलेगा
आपकी सोच बदल सकती है हमारा अस्तिव मिटने से ..
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