मुंसिफ़

लफ़्ज़ों के साथ इंसाफ़ करने की अदद कोशिश...

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It is too bad to be too good

Tuesday, 6 August 2013


 चंद लम्हे अपने से
 
लम्हे तुम्हारे प्यार के एक पूरी ज़िन्दगी दे गए
हम उसके बाद कभी ज़िंदा ही नहीं हुए हैं
यूँ तो ज़िन्दगी दिन रात सासें लेती  रही है
दिन भी हुए हुई रात भी है पर वो लम्हे ही नहीं हैं
हम सदियों से तेरी याद मैं सोये ही  नहीं हैं
चन्द लम्हे सिर्फ लम्हे ही थे वो लम्हे ज़िन्दगी
ज़िन्दगी आज भी वहीँ  रुकी सी खडी है ज़िन्दगी
बेजान बेवजह  बहती सांस से ज़िन्दगी

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