मुंसिफ़

लफ़्ज़ों के साथ इंसाफ़ करने की अदद कोशिश...

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It is too bad to be too good

Friday 26 April 2013

तनहा रहे हैं हम अक्सर भीड़ मैं भी
तुम्हे तलाशा हमने अक्सर खुद मैं भी
तू मुझमें हे कही रहता था
आज बंज़र हुआ है दिल किसी बीराने के तरहां
लोग आकर चले जाते हैं
आँखों मैं सिर्फ तेरे हे तलाश रहती है
मेरा वजूद था तू ,मेरा अस्तिव्य तुमसे था
आज मैं खुद को हे खुद मैं तलाशती हूँ
इंतज़ार कल भी था और आज भी है

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