तुम कहाँ तक जाओगे दूर हमसे
हम अपनी मुहब्बत मैं यकीन रखते हैं
चाहं है तुम्हे सिद्दात सेखुदा के तरह
हमसे दूर जाकर तुम खुद को भूल जाओगे
हमनें गुज़री हैं तनहा रातें कितने
तुम भी कभी हमारी आग मैं जल जाओगे
जब मुहोब्बत होगी तुम्हे फिर से उ
उस पल शायद तुम हमें भी न पाओगे
वक़्त लौट ता ज़रूर है
आज तदपते हैं हम जिस तरहां
तुम भी कभी उस को महसूस कर पाओगे
हम अपनी मुहब्बत मैं यकीन रखते हैं
चाहं है तुम्हे सिद्दात सेखुदा के तरह
हमसे दूर जाकर तुम खुद को भूल जाओगे
हमनें गुज़री हैं तनहा रातें कितने
तुम भी कभी हमारी आग मैं जल जाओगे
जब मुहोब्बत होगी तुम्हे फिर से उ
उस पल शायद तुम हमें भी न पाओगे
वक़्त लौट ता ज़रूर है
आज तदपते हैं हम जिस तरहां
तुम भी कभी उस को महसूस कर पाओगे
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