सुहागन
सब कुछ विधि के विधान के अनुसार हे हो रहा था और खनक को समझ नहीं आ रहा था वो क्या जवाब दे उसने सब कुछ अपने मम्मी पापा के हाथ मे छोड़ दिया और सोचने लगी पता नहीं क्या होगा आदित्य पता नहीं कैसा है उसका नेचर और वो कुछ गुमसुम सी बैठ गयी सब आज खुश थे एक नए परिवार से सम्बन्ध जोड़कर .
खनक फिर से रोज़ के तरह से सुबह सोकर उठी और फिर अपने कामों मैं व्यस्त हो गयी दिन इस तरहा से निकल गयी और शाम को जब सब इक्कठा हुए तो फिर वही सारी बातें करने लगे, जैसा के हर घर मैं होता है जहाँ रिश्ता पक्का हो जाता है , क्या होगा कैसे होगा
खनक से कहा गया वो अपनी सगाई के लिए अपनी एक ड्रेस तैयार कर ले उसने हाँ मैं सर हिला दिया और चुपचाप खाना खाने लगी
और सोचने लगी क्या ड्रेस ले साड़ी या कुछ और फिर उसने सोचा जाकर देख लूंगी जो अच्छा लगेगा बनवा लूंगी
अब घर का महॊल बदल गया था घर मैं सिर्फ खनक के ही बात होती थी जैसे अचानक से कितनी ख़ास सी हो गयी थी वो फिर मम्मी ने कहा खनक तो आदित्य जी से बात कर लेना उन्हे कुछ पूछना था तुझसे और मोबाइल no वही पर लिख कर रख दिया एस उम्मीद से की खनक खुद से ही बात कर लेगी पर को कशमकश में बात हे नहीं कर पाई एक झिझक सी थी आखिर क्या बात करेगी वो
फिर माँ कमरे में आई और उसने देखा मोबाइल no वही दावा हुआ रखा है मम्मी ने फिर उसे बात करने को कहा और खुद से मोबाइल मिला कर दिया कहंक ने झिझकते हुए हेलो कहा और बात करने लगी आदित्य जान चुका था खनक शरमा रही है इसलिए उसने अपने आप ही बात करना शुरू कर दिया और धीरे धीरे वो कह्नक से बात करता गया टाइम जैसे बहुत बड़ा हो गया था कट हे नहीं रहा था खनक को समझ ही नहीं आ रहा था क्या करे फिर कुछ देर में उसने यह कहकर मोबाइल रख दिया पापा आ गए .
आदित्य अब खनक को रोज़ फ़ोन करने लगा धीरे धीरे खनक को उसके साथ बात करना पसंद आने लगा और वो भी आदित्य से बात करने लगी,अब सगाई का दिन पास आ गया था और कहंक ने गुलाबी रंग के साड़ी तैयार करवा ली थी और उसी से मिलती हुई कांच के रंगबिरंगी चुडिया और माथे पर सजाने को गुलाबी से बिंदी और उसने एक बार सब कुछ पहन कर आइने में खुद को देखा कैसी लग रही हूँ आज वो सबसे अलग और प्यारी से लग रही थी खुद को आइने मैं पहली बार उसने खुद को देखा था और आज वो खुद को आदित्य की नज़र से देख रही थी मैं उसे कैसी लगूंगी उसे शायद आज खुद से प्यार हनी लगा था अकसर हर लडकी के साथ यही होता है जब उसकी ज़िन्दगी में कोई आता है वो खुद उसके लिए बदलने लगती है.
शायद भगवान् ने नारी को बनाया हे ऐसा है वो हर महॊल मैं खुद को बदल कर हर किसी का ध्यान रख सके भगवान् की बहुत अनुपम सी रचना है वो
खनक फिर से रोज़ के तरह से सुबह सोकर उठी और फिर अपने कामों मैं व्यस्त हो गयी दिन इस तरहा से निकल गयी और शाम को जब सब इक्कठा हुए तो फिर वही सारी बातें करने लगे, जैसा के हर घर मैं होता है जहाँ रिश्ता पक्का हो जाता है , क्या होगा कैसे होगा
खनक से कहा गया वो अपनी सगाई के लिए अपनी एक ड्रेस तैयार कर ले उसने हाँ मैं सर हिला दिया और चुपचाप खाना खाने लगी
और सोचने लगी क्या ड्रेस ले साड़ी या कुछ और फिर उसने सोचा जाकर देख लूंगी जो अच्छा लगेगा बनवा लूंगी
अब घर का महॊल बदल गया था घर मैं सिर्फ खनक के ही बात होती थी जैसे अचानक से कितनी ख़ास सी हो गयी थी वो फिर मम्मी ने कहा खनक तो आदित्य जी से बात कर लेना उन्हे कुछ पूछना था तुझसे और मोबाइल no वही पर लिख कर रख दिया एस उम्मीद से की खनक खुद से ही बात कर लेगी पर को कशमकश में बात हे नहीं कर पाई एक झिझक सी थी आखिर क्या बात करेगी वो
फिर माँ कमरे में आई और उसने देखा मोबाइल no वही दावा हुआ रखा है मम्मी ने फिर उसे बात करने को कहा और खुद से मोबाइल मिला कर दिया कहंक ने झिझकते हुए हेलो कहा और बात करने लगी आदित्य जान चुका था खनक शरमा रही है इसलिए उसने अपने आप ही बात करना शुरू कर दिया और धीरे धीरे वो कह्नक से बात करता गया टाइम जैसे बहुत बड़ा हो गया था कट हे नहीं रहा था खनक को समझ ही नहीं आ रहा था क्या करे फिर कुछ देर में उसने यह कहकर मोबाइल रख दिया पापा आ गए .
आदित्य अब खनक को रोज़ फ़ोन करने लगा धीरे धीरे खनक को उसके साथ बात करना पसंद आने लगा और वो भी आदित्य से बात करने लगी,अब सगाई का दिन पास आ गया था और कहंक ने गुलाबी रंग के साड़ी तैयार करवा ली थी और उसी से मिलती हुई कांच के रंगबिरंगी चुडिया और माथे पर सजाने को गुलाबी से बिंदी और उसने एक बार सब कुछ पहन कर आइने में खुद को देखा कैसी लग रही हूँ आज वो सबसे अलग और प्यारी से लग रही थी खुद को आइने मैं पहली बार उसने खुद को देखा था और आज वो खुद को आदित्य की नज़र से देख रही थी मैं उसे कैसी लगूंगी उसे शायद आज खुद से प्यार हनी लगा था अकसर हर लडकी के साथ यही होता है जब उसकी ज़िन्दगी में कोई आता है वो खुद उसके लिए बदलने लगती है.
शायद भगवान् ने नारी को बनाया हे ऐसा है वो हर महॊल मैं खुद को बदल कर हर किसी का ध्यान रख सके भगवान् की बहुत अनुपम सी रचना है वो
2 Comments:
इन दिनों आप फिर से अपने ब्लॉग पर सक्रिय हुई हैं ... अच्छा लगता है आपको पढ़कर . मानवीय रिश्तों के मर्म को बहुत खूबसूरती से उभारा है आपने .
हौंसला अफजाई के लिए धन्यवाद
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