मुंसिफ़

लफ़्ज़ों के साथ इंसाफ़ करने की अदद कोशिश...

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It is too bad to be too good

Sunday, 11 January 2009

ख़त....

तुम्हारे ख़त में नया एक सलाम किसका था,
ना था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किसका था।

रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा,
मक़ीम कौन हुआ है, मक़ाम किसका था।

वफ़ा करेंगे, निबाहेंगे, बात मानेंगे,
तुम्हें भी याद है कुछ, ये कलाम किसका था।

गुज़र गया वो ज़माना, कहें तो किससे कहें,
ख़्याल दिल को मेरे सुबह-शाम किसका था।

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15 Comments:

Blogger Betuke Khyal said...

I love reading your posts so much that I have added as your follower. Keep it up.

11 January 2009 at 23:57  
Blogger abdul hai said...

Umeda haa yai ashar

12 January 2009 at 03:15  
Blogger Amit K Sagar said...

Mind Blowing! Great Great Great...Waaah Waah Waah.
जारी रहें. शुभकामनाएं.
--
अमित के सागर

12 January 2009 at 06:19  
Blogger श्यामल सुमन said...

रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा,
मक़ीम कौन हुआ है, मक़ाम किसका था।

रचना अच्छी लगी। बिशेषकर उक्त पंक्तियाँ। बधाई।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

12 January 2009 at 07:09  
Blogger Prakash Badal said...

स्वागत है ब्लॉग जगत में।

12 January 2009 at 08:01  
Blogger Dr. Ashok Kumar Mishra said...

वफ़ा करेंगे, निबाहेंगे, बात मानेंगे,
तुम्हें भी याद है कुछ, ये कलाम किसका था ।

अमिता जी ,
बहुत उम्दा और पुख्ता गजल कही है आपने । कथ्य और शिल्प दोनों दृष्टि से प्रभावशाली है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-आत्मविश्वास के सहारे जीतें जिंदगी की जंग-समय हो पढ़ें और कमेंट भी दें-

http://www.ashokvichar.blogspot.com

12 January 2009 at 11:14  
Blogger के सी said...

sweet one

12 January 2009 at 11:16  
Blogger Jayasri said...

what if I say ..
you are different from that..
not better/worse.. just different...
you have your own flavor....
there must have been a reason you were made the way you are....
please don't dissolve that

12 January 2009 at 23:53  
Blogger पूनम श्रीवास्तव said...

Amita ji,
Bahut hee sundar,achchhee rachnayen apke blog par hain.Badhai aur shubh kamnayen.Kabhee mere blog par bhee aiye.
Poonam

13 January 2009 at 07:11  
Blogger डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

Amita ji,
Achchhee bhavnapradhan kriti ke liye badhai.
Hemant Kumar

13 January 2009 at 09:11  
Blogger Unknown said...

waah amita ji.....achha likha hai....mere chithe par swagat hai....


Jai HO Magalmay Ho...

15 January 2009 at 00:19  
Anonymous Anonymous said...

WaaaaaaaaH, padhkar mazaa aa gaya,ye gajal sunne me aur bhi achhi hai.

--------------------------------------"VISHAL"

16 January 2009 at 04:57  
Blogger Akanksha Yadav said...

वफ़ा करेंगे, निबाहेंगे, बात मानेंगे,
तुम्हें भी याद है कुछ, ये कलाम किसका था।...bahut khoob !! keep it up.

17 January 2009 at 03:29  
Anonymous Anonymous said...

रसात्मक और सुंदर अभिव्यक्ति

13 February 2009 at 08:43  
Blogger Harsh said...

ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है................


तुम्हें भी याद है कुछ, ये कलाम किसका था??
हाँ जी,
हमें याद है कि ये कलाम दाग़ देहलवी साहब का है..........

3 April 2011 at 07:30  

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