ख़त....
तुम्हारे ख़त में नया एक सलाम किसका था,
ना था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किसका था।
रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा,
मक़ीम कौन हुआ है, मक़ाम किसका था।
वफ़ा करेंगे, निबाहेंगे, बात मानेंगे,
तुम्हें भी याद है कुछ, ये कलाम किसका था।
गुज़र गया वो ज़माना, कहें तो किससे कहें,
ख़्याल दिल को मेरे सुबह-शाम किसका था।
ना था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किसका था।
रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा,
मक़ीम कौन हुआ है, मक़ाम किसका था।
वफ़ा करेंगे, निबाहेंगे, बात मानेंगे,
तुम्हें भी याद है कुछ, ये कलाम किसका था।
गुज़र गया वो ज़माना, कहें तो किससे कहें,
ख़्याल दिल को मेरे सुबह-शाम किसका था।
Labels: ख़त....
15 Comments:
I love reading your posts so much that I have added as your follower. Keep it up.
Umeda haa yai ashar
Mind Blowing! Great Great Great...Waaah Waah Waah.
जारी रहें. शुभकामनाएं.
--
अमित के सागर
रहा न दिल में वो बेदर्द और दर्द रहा,
मक़ीम कौन हुआ है, मक़ाम किसका था।
रचना अच्छी लगी। बिशेषकर उक्त पंक्तियाँ। बधाई।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
स्वागत है ब्लॉग जगत में।
वफ़ा करेंगे, निबाहेंगे, बात मानेंगे,
तुम्हें भी याद है कुछ, ये कलाम किसका था ।
अमिता जी ,
बहुत उम्दा और पुख्ता गजल कही है आपने । कथ्य और शिल्प दोनों दृष्टि से प्रभावशाली है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-आत्मविश्वास के सहारे जीतें जिंदगी की जंग-समय हो पढ़ें और कमेंट भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
sweet one
what if I say ..
you are different from that..
not better/worse.. just different...
you have your own flavor....
there must have been a reason you were made the way you are....
please don't dissolve that
Amita ji,
Bahut hee sundar,achchhee rachnayen apke blog par hain.Badhai aur shubh kamnayen.Kabhee mere blog par bhee aiye.
Poonam
Amita ji,
Achchhee bhavnapradhan kriti ke liye badhai.
Hemant Kumar
waah amita ji.....achha likha hai....mere chithe par swagat hai....
Jai HO Magalmay Ho...
WaaaaaaaaH, padhkar mazaa aa gaya,ye gajal sunne me aur bhi achhi hai.
--------------------------------------"VISHAL"
वफ़ा करेंगे, निबाहेंगे, बात मानेंगे,
तुम्हें भी याद है कुछ, ये कलाम किसका था।...bahut khoob !! keep it up.
रसात्मक और सुंदर अभिव्यक्ति
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है................
तुम्हें भी याद है कुछ, ये कलाम किसका था??
हाँ जी,
हमें याद है कि ये कलाम दाग़ देहलवी साहब का है..........
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