हम भी दरिया हैं....
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा,
इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा।
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है,
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा।
इतनी सच्चाई से, मुझसे ज़िंदगी ने कह दिया,
तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जाएगा।
मैं ख़ुदा का नाम लेकर पी रहा हूं दोस्तों,
ज़हर भी इसमें अगर होगा दवा हो जाएगा।
सब उसी के हैं, हवा, ख़ुशबू, ज़मीनों-आसमां,
मैं जहां भी जाऊंगा उसको पता हो जाएगा।
(उर्दू अदब की अज़ीम शख़्सियत बशीर बद्र के अ`शआर)
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1 Comments:
Amita ji,
Apke blog par to aj bahut achchhee rachnayen padhne ko milin.asha hai age bhee ye kram jaree rahega.shubhkamnayen.
HemantKumar
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